काफिलों के साथ चला , पर बात जहन में रहती है।
मै जिन्दा इन्सां हूँ, उसमें भी जिन्दगी रहती है।
मेरा क्रन्दन पत्थरों से टकरा लौट आया है।
मै घायल पीड़ित लहुलुहान था , मुझे ही बंदी बनाया है।
मंजिले सब को हासिल हो ही जाएँगी।
जब दिलों की दस्तक सुनी जाएँगी।
लहू गर बहे , दर्द कम समझना चाहिए।
मुश्किलें गर आये तो , राह आसां समझनी चाहिए।
काफिलों में चलो मगर ,खुद की पहचान होनी चाहिए।
बात गर दिल पर लगे, तो ही कहनी चाहिए।
मुश्किलें राह में आयें या राह हो मुश्किलों भरी।
हंस कर मुश्किल को हंसा दो, हो चाहे कितनी मुश्किल घड़ी।
जन्तर मन्तर सब करले , चाहे हस कर हाथ हिला।
जन्तर मन्तर पर मै भी खड़ा , मै भी हंस लूँ , तू बात तो बढ़ा।
गमों से टूट कर बिखर जाना गवांरा नहीं मुझे।
तिनकों को जोड़ आंसमा बनाना आता है मुझे।
बर्दाश्त की जब हद हो जाये समझ लेना ,नया मौसम आने वाला है।
थोडा सा सम्भल लेना , ये मौसम बदलने वाला है।
बहुत दूर हों जब किनारे, हिम्मत तुम फौलादी रखना।
औजारों को फेंक समन्दर, बस मौजों की सवारी करना।
मै जिन्दा इन्सां हूँ, उसमें भी जिन्दगी रहती है।
मेरा क्रन्दन पत्थरों से टकरा लौट आया है।
मै घायल पीड़ित लहुलुहान था , मुझे ही बंदी बनाया है।
मंजिले सब को हासिल हो ही जाएँगी।
जब दिलों की दस्तक सुनी जाएँगी।
लहू गर बहे , दर्द कम समझना चाहिए।
मुश्किलें गर आये तो , राह आसां समझनी चाहिए।
काफिलों में चलो मगर ,खुद की पहचान होनी चाहिए।
बात गर दिल पर लगे, तो ही कहनी चाहिए।
मुश्किलें राह में आयें या राह हो मुश्किलों भरी।
हंस कर मुश्किल को हंसा दो, हो चाहे कितनी मुश्किल घड़ी।
जन्तर मन्तर सब करले , चाहे हस कर हाथ हिला।
जन्तर मन्तर पर मै भी खड़ा , मै भी हंस लूँ , तू बात तो बढ़ा।
गमों से टूट कर बिखर जाना गवांरा नहीं मुझे।
तिनकों को जोड़ आंसमा बनाना आता है मुझे।
बर्दाश्त की जब हद हो जाये समझ लेना ,नया मौसम आने वाला है।
थोडा सा सम्भल लेना , ये मौसम बदलने वाला है।
बहुत दूर हों जब किनारे, हिम्मत तुम फौलादी रखना।
औजारों को फेंक समन्दर, बस मौजों की सवारी करना।
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