शनिवार, 10 अगस्त 2013

Poem ~ Satta Ke Rang

सत्ता के रंग

मै हालत देश की देख कर दंग हूँ !
साजिशो के ढंग देख विस्मृत हूँ !
गद्दारी की बू फैली है चारो और सत्ता का ये रंग देख विचलित हूँ

आदर्शो की बलि देखकर सन्न हूँ ।
मक्कारी की हद देखकर खिन्न हूँ ।
बलि चढ़ गये जो देश की खातिर , उन्हें गद्दार कहो , सुनकर ही उद्वेलित हूँ! #अहिंसक

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